पूगल का इतिहास

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महारावल पुनपाल विक्रमी संवत १३३२ को पदच्युत होकर इधर -उधर नया राज्य स्थापित करने भ्रमण करते रहे । उनके पुत्र का नाम लखमन था । लखमन के पुत्र रनकदे ने पूगल को नायको से छुडवा कर राव की पदवी प्राप्त की सिद्ध देवराज ने पूगल पर अधिकार किया था । खिंचियो ने यहाँ १० वर्ष पड़ीहारों ने ४ वर्ष पाहू भाटियों ने २३० वर्ष राज्य किया पाहू से नायको ने राज्य लिया । भटनेर और अबोहर पर भूकन अभोरिया भाटी शासक १३५१ - ८८ ई. में शासक थे सलखा के पुत्र विरमदेव ने अवसर पाकर राज्य प्राप्त करने हेतु भूकन भाटी को मार दिया । तब डाला जोइया ने १३८७ ई . में विरमदेव को सिहाण कोट के पास मार दिया । विरम देव के वध के समय उनके पुत्र देवराज गोगादे और चूंडा अपने ननिहाल बेदरन में अपनी माता के साथ थे । राव केलण १४१४ ई . में पूगल के राव रणक देव के गोद आये और उन्होंने १४१८ ई . को राव चूड़ा को मारा राव केलण ने मलिनाथ राठौर की पुत्री से विवाह किया । और अपनी सगी बहिन कल्याण कँवर का विवाह कुमार जगमाल से कर दिया था । केलण की पुत्री कोडमदे राव रिडमल को ब्याही थी । उनके भांजे जोधा थे । केलण के भाई सोम को गिरान्धी की जागीरी दी गयी । राव केलन का स्वर्गवास १४३० को हुआ । केलण के पुत्र अरवा के पुत्र सेखा ने सेखासर गाँव बसाया । अखा के वंशज सेखा सरिया केलण भाटी कहलाये । राव केलण के पश्चात् राव चाचकदेव गादी १४३० -१४४८ ई . विराजे । राव चाचकदेव की ४ रानिया थी । रानी लालकंवर सोढ़ी । सुरजकंवर चौहान , सोनल सेती मुसलमान ,राणी लंगा कोरियो की पुत्री , १ सोढ़ी ,लालकंवर से बरसल , २ महरबान ३ भीमदे मेहरबान को बलर  के रूकनपुर की जागीरी दी । ये मुस्लमान हो गए । रानी चौहान के पुत्र रणधीर को देरावर के खडाल की जागीरी प्रदान की । १ रणधीर के पुत्र वीरमदे २ लक्ष्मण ३ मूला ४ अजो थे । वीरमदेव के पुत्र वीजा के पुत्र नेता के वंशज नेतावत भाटी कहलाये । इनके वंशज नोख , सेवड़ा ,मेंबसते है । राव बरसल १४४८ - १४६४ अपने पिता की म्रत्यु के बाद पूगल की राजगददी पर बैठे । कालालोदी ने राव चाचकदेव को दुनियापुर ( कोलायत ) में मारा था । राव बरसल ने दुनियापुर व् मुमन वाहन काला लोदी मुलतान शासक से छीन लिए । बिकमपुर से हासिम खान को मार भगाया । राव बरसल ने १४४७ में बरसलपुर किले का निर्माण करवाया था । सेखो राव , तिलोकसी ,जोगायत ,जगमाल । वे रांगर रा दीकरा एक एक हुंभल । सेखो राव १४६४ -१५०० अपने पिता की म्रत्यु के बाद १४६४ ई . में राव बने । देवी करनी जी का जन्म १३८७ ई . में देश नोक में तथा समाधी १५३८ इ में ली जांगलू के नापा सांखला ने अपने भांजे बीका को ८४ गाँव दिए इस प्रकार १४६५ में देवी कृपा से जांगलू स्वामी बन गए । राव सेखा के अधिकार पूगल के अलावा भटनेर , बीकमपुर , बीजनोत ,देरावर ,मारोट ,मुमनवाहन ,किरोहर ,दुनियापुरक के प्रसिद्द किले थे । सेखा को मुलतान के बादशाह ने बंदी बना लिया था । करनी जी ने उन्हें मुक्त करवाया । सेखा की पुत्री रंग कँवर का विवाह बीका के साथ हुआ । भाटियों का दूसरा युद्ध भाटी कलकरण व् बीका के साथ हुआ । इसमें कलकरण मारे गए । राव बरसलपुर की मृत्यु १५०० ई में हुयी । इनके पुत्र १ हरा २ बाघसिंह ३ खेमाल नामक थे । हरा पूगल के राव बने । खेमाल बरसल पुर सहीत ६८ गाँव प्रदान किये । जिनके वंशज खींया भाटी कहलाये । मुख्यालय हापासर था । इनके वंशज नामी किसनावत केलण भाटी कहलाये । १ रावत खेमाल २ राव जेतसिंह ३ मालदेव ४ मंडलीकजी ५ नेतसिंह ६ प्रथ्विसिंह ७ दयालदास ८ करणीसिंह ९ भानीसिंह बरसलपुर के राव हुए । बरसलपुर का युद्ध मुलतान के शासक के साथ हुआ जिसमे रावत खेमाल शहीद हुए ।


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