भाटियो की सम्पूर्ण शाखाएँ

  भाटियो की सम्पूर्ण शाखाएं

१. अभोरिया भाटी- बालबंध(बाळद) के पुत्र एवं राजा भाटी के अनुज अभेराज के वंशज अभोरिया भाटी कहलाये जो वर्तमान में पंजाब में है |
२.जेहा भाटी - राजा भाटी के अनुज जेह के वंशज जेहा भाटी कहलाये |
३.सहराव भाटी-राजा भाटी के अनुज सहरा के वंशज सहराव भाटी कहलाये | ये भाटी पंजाब में रहे |
४.भैंसडेचा भाटी-राजा भाटी के अनुज भेंसडेच के वंशज |
५.लधड-राजा भाटी के अनुज लधड के वंशज |
६.जीया - राजा भाटी के अनुज  जिया के वंशज |
७.जंझ-राजा भूपत के पुत्र जांझंण के वंशज |
८.अतेराव -अतेराव राजा भूपत के पुत्र अतेराव के वंशज
९.धोतड-राव मूलराज (मारोठ )प्रथम के पुत्र घोटड के वंशज |
१०.सिधराव-राव उदेराव मारोठ के बेटे सिधराव के वंशज |
११.गोगली -राव मंझणराव के पुत्र गोपाल के पुत्र |
१२.जेतुंग -राव तनुराव के पुत्र जेतुंग के वंशज | जेतुंग का विकमपुर पर अधिकार रहा | जेतुंग के बेटे गिरिराज ने गिरजासर गाँव (नोख ) बसाया | जेतुंग के पुत्र रतंनसी और चाह्डदे ने वीकमपुर पर अधिकार जमाया | वीकमपुर उस समय वीरान पड़ा था | फलोदी के सेवाडा गाँव और जोधपुर जिले के बड़ा गाँव मै जेतुंग भाटियो की बस्ती है |उसके अलावा भी कई कई गाँवो में जेतुंग भाटियो के घर मिलेंगे |
१३.छैना और छींकण -रावल सिद्ध देवराज के पुत्र छेना के वंशज |
१५ -लोवा ,बुधरा ,और पोह्ड-रावल मंध के बेटे रायपाल के वंशजो से लोवा,बुधरा ,और पोह्ड भाटी की शाखाएँ अंकुरित हुयी | बुधरा खरड क्षेत्र में रहे |
१६.सिधराव ११ - रावल बाछु (बछराज)रावल बाछू (लुद्र्वा ) के पुत्र सिधराव bhati कहलाये |सिधराव ने लुद्र्वा से सिंध में जाकर सिधराव गाँव बसाया जो बाद में हिंसार के नाम से जाना गया | इनके वंशक्रम में स्च्चाराव ,बल्ला ,और रत्ना हुए | रत्ना व् जग्गा ने मंडोर के प्रतिहारो से पांच सो ऊंट छीनकर अपनी शक्ति का परिचय दिया |
१७.पाहू bhati -रावल वछराज के पुत्र ब्प्पराव के बेटे पाहू के वंशज | पाहू भाटियों ने पहले वीकमपुर फिर पुगल पर अधिकार किया | जनकल्याण के लिए कई कुए खुदवाये जो पाहुर कुए कहलाये | पाहू भाटी वागड़ ने वागड़सर (नोख ) बसाया | मांड में दो गाँव पाहू भाटियों के है | मारवाड़ ,में डावरा,तिंवरी ,केलावा ,खुर्द और अनवाणा में और जेसलमेर में मेघा इसके अलावा भी कई गाँवो में पाहू भाटी है |
१८.अणधा-रावल वछराज के बेटे इणधा के वंशज |
१९;मूलपसाव-रावल वछराव के पुत्र मूलपसाव के वंशज |
२०.राहड-महारावल विजय राज लान्झा के बेटे राहड के वंशज |खडाल में तीन और देरासर के निकट २० गाँव थे | अमरकोट की सीमा पाकिस्तान की सीमा पर भाई कई गाँव है | इसके अलावा बीकानेर में भरेसर के समीप वैरसल और जसा में राहड भाटीहै |
२१.हटा -महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र हटा के वंशज हटा bhati कहलाये |हटा bhati सिहडानो ,करडो ,और पोछिनो क्षेत्र में रहे |
२२.भिंया bhati -महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र भीव के वंशज भिन्या भाटी कहलाये |
२३.वानर -महारावल सालवाहण के पुत्र वादर के वंशज | जेसलमेर के डाबलो गाँव इनके पट्टे में रहा |
२४.पलासिया -महारावल सालवाहण(सलिवाहन ) के बेटे हंसराज के वंशज पलासिया | महरावल के वंशजो ने बद्रीनाथ की पहाड़ियों में अपना राज्य स्थापित कर उसका नाम पहाड़ी रखा | वहां के bhati निसंतान म्रत्यु हो जाने पर हंसराज को गोद लीया गया | हंसराज जब वहा जा रहे थे तब मार्ग में पलाशव्रक्ष के निचे उसकी राणी ने एक बच्चे को जन्म दिया| उसका नाम पलाश रखा | हंसराज के बाद वह उतराधिकारी बना और उसके वंशज पलासिया कहलाये |
२५.मोकळ-महारवल सालिवाहंण के बेटे मोकल के वंशज मोकल | ये पहले जेसलमेर में रहे फिर मालवा में जाकर बस गए वहां अपने परिश्रम से उद्योगपति के रूप में विशिष्ट पहचान कायम की | आर्थिक द्रष्टि से स्थति उतम रही |
26.मयाजळ-महारावल सलिवाहंन के पुत्र सातल के वंशज मयाजळ कहलाये | म्याजलार इनका गाँव हे जेसलमेर में इनके आलावा सिंध में है |
२७;जसोड़ -महारावल कालण के पुत्र पालण के पुत्र जसहड के वंशज | जसहड के पुत्र दुदा जैसलमेर की गद्दी पर बैठे और शाका कर अपना नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गए | पूर्व में गाँव लाठी और ३५ गाँव जसोड़ भाटियों के थे फिर महार्वल ने हस्तगत कर लिये | देवीकोट में लक्ष्मण ,वाणाडो,मदासर गाँव इनकी जागीरी में रहे | इसके आलावा छोडिया व् राजगढ़ (देवीकोट ) इनकी भोम रहे | राजगढ़ गाँव फिर बिहारी दसोतों भाटियों की जागीरी रहा | मदासर गाँव के कुम्हारों पर ब्राह्मण अत्याचार करते थे | कुम्हारों द्वारा अनुरोध पर जसोद यहाँ आकर बसे | बड़ी सिर्ड (नोख ) पर भी पहले जसोड़ भाटियो का अधिकार था | जैसलमेर में २४ गाँवो (जसडावटी) के अतिरिक्त मारवाड़ में भी कई ठिकाने रहे है |
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