१७१ महारावल करनसिंह भाटी ३२ ) १२४२ ई . और म्याजल भाटी ५५

:: १७१  महारावल करनसिंह ( भाटी ३२ ) १२४२ ई .::

महारावल चाचकदेव का स्वर्गवास होने  के बाद  उनकी आज्ञानुसार सामंत मण्डली करनसी का जैसलमेर के सिंहासन पर संवत १२९९ विक्रमी में सुसोभित किया । इनके पारकर के सोढा मेहपाल की पुत्री हंस कँवर । पड़िहार राना दूदा जी की पुत्री कमलावती । राठौर राव छाडाजी की पुत्री । बाघेला राजा मेहरावन की पुत्री केसरकंवर गढ़ बाधू । झाली जी भगवती प्रसाद की पुत्री नागोर । चौहान राव धारू की पुत्री से विवाह हुए । बाई भाण नरवर के राजा को परनायी । जब करनसी को सिंहासन पर बिठाया तब उनके बड़े भाई जेतसी अपनी  जन्म भूमि छोड़कर गुजरात जाकर वहां के मुसलमान राजा की आधीनता में रहने लगे । वाराह जाती के राजपूत भगवती प्रसाद की सुन्दर कन्या के लिए तत्कालीन नागोर के शासक मुजफर खां नामक मुसलमान ने अपने ५०० घोड़ों के असवारों के साथ भगवती प्रसाद पर आक्रमण किया था भगवती प्रसाद के १५०० वीरों में से ४०० वीर धरासाही हो जाने पर शेष सेना के साथ जैसलमेर आकर महारावल करन सी से सरणागत हुआ । महारावल ने युद्ध कर मुजफर को मार दिया । और भगवती प्रसाद ने अपनी कन्या विजयी महारावल को सोंप दी । इनके १ लाखन सी २ सांगो जी नामक २ पुत्र थे । विक्रमी संवत १३०७ माघ सुदी ४ को गणेशी नाथ ने गड़सीसर तालाब की पाल के पीछे आयस के मठ का निर्माण करवाया ।
:: दोहा ::

बारह सो निनानवें गादी बेठो राज
रावल श्री करण जी सुरवीर महाराज
गादी बेठो राज सरण आपै को राख्यो
मार मुजफर खान लूट नागोर नाख्यो
जागा पर बेठाय़ झाले भगवती नू सावल
छोटी बेटी परनलई झाली महारावल ॥
महारावल करणसि ने वरस २८ मास ५ दिन २० राज्य किया

:: म्याजल भाटी ::

महारावल करनसी के दूसरे पुत्र सांगो जी के वंशज म्याजल भाटी कहलाये । म्याजलार गाँव बसाया । म्याजलार के सवाईसिंह एक ठेकेदार है ।


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