::155 राव मंझमराव (भाटी 16)::
राव मंझमराव गढ़ मारोट के सिंहासन पर विक्रमी संवत 786 में विराजे । इनके विवाह राव दोहट झाला की पुत्री दूसरा विवाह गढ़ थराद के बाघेला राजा सुमन की पुत्री जगीस कँवर से हुआ इनके पुत्र 1 केहर 2 गोगली 3 आभड थे ।
:: गोगली भाटी 4 ::
राव मंझमराव के दुसरे पुत्र गोगली के वंशज गोगली भाटी कहलाये । जांगलू में विक्रमी संवत 1647 आसोज बदी 8 को गोगली भाटी संसारचंद (बादशाह के साथ युद्ध में ) सिर कट जाने पर उसका धड़ शत्रुओ से मुकाबला करता रहा । जुझार भाटी के प्रति आज भी श्रधाभाव है । वर्तमान में जैसलमेर जिले में भोपा , नरसिंगो की ढाणी , ऊगा , कोरमा , सोभ , सोडा आदी गाँव गोगली भाटियो के है और बीकानेर जिले में जेंगलू रो वास , सोनिया सर का वास , पिपरणकरण , पूनरासर में गोगली भाटी निवास करते है ।
:156 राव केहर (भाटी 17)::
राव केहर गढ़ मारोट में विक्रमी संवत 816 को राजगादी पर विराजे । राव जोध सोनगरा की पुत्री मानकंवर गढ़ अरणेदा के झाला राव भाण की पुत्री कमलावती पारगढ़ के पंवार राजा ब्रजंग की पुत्री कमलावती सोलंकी राव प्रथु की पुत्री से विवाह किये । इनके पुत्र 1 तनुराव 2 जामराव 3 पुत्री सूरतकँवर थी । राव केहर अत्यंत साहसी और बलवान थे । इन्होने अपने भाई गोगली और आभाड़ की मदद से अफगानिस्तान के सोवात प्रदेश के 500 घोड़े अपहरण कर लिए । केहर का विवाह जालसी नामक देवड़ा की कन्या से होने पर इस विवाह के उपलक्ष में 500 घोड़े केहर ने चारण को दिए । उन्होंने अपने समीप वर्ती छोटे -छोटे बहुत से राजाओ को अधीन कर लिया । एक बार केहर की झाली राणी को सांगियाजी के दर्शन हुए । देवी ने राणी से कहा तुम्हारे पुत्र होगा । उसका नाम तणु रखना उसके नाम से गढ़ का नाम रखना म्हारो मंदिर बनवाना थारो वंश बधसि सांगियो रो वचन छे । झाली के कोख से तनुराव का जनम हुआ.