सिरमुर हिमाचलप्रदेश,पंजाब पटियाला और उतरप्रदेश में भाटियों की साखएं

हिमाचल प्रदेश में भाटी 

जैसलमेर से भाटियों की ऐक साखा उतर में ऊपर पहाड़ों में चली गयी थी | उस साखा ने वहां दो राज्य १. सिरमोर २. बालसन स्थापित किये थे | जिनका उधर जाना करीब वि. सं. ११६२ तथा १०९५ मानते है | सिरमोर राज्य की राजधानी नाहन थी | राज्य का क्षेत्रफल १०४६ किमी. था | यहाँ के शासक को अंग्रेजी राज्य द्वारा 11 तोपों की सलामी दी जाती थी | जयपुर की वर्तमान साहिबा पद्मिनी देवी जो सिरमोर की राजकुमारी है |

पंजाब में भाटी :-

जैसलमेर से भाटियों की ऐक और साखा 13 वीं शताब्दी में चली गयी थी | जैसलमेर के राव जैसल के तीसरे पुत्र राय हेम छोटे से झगड़े के बाद पंजाब चले गए थे | उस साखा ने वहां जाकर सिख धर्म,ग्रहण कर लिया | इस साखा में खेवानाम का ऐक व्यक्ति हुआ | जिनका पुत्र सिन्धु हुआ | जिससे उसके वंशज संधू कहलाये | इस वंश में फूल नामक व्यक्ति पैदा हुआ | जिनको मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने चौधराईन दी १६२२ इ. में इसका देहांत हो गया | इसके बड़े पुत्र की ओलाद ने नाभा और जींद के राज्य थे | नाभा राज्य १७६३ ई. में कायम हुआ था | इन्होने लार्डलेख को बड़ी सहायता दी थी | फूल के छोटे पुत्र का लड़का ओलासिंह हुआ उसने बाहुबल से १७५३ ई. के करीब पटियाला राज्य कायम किया | इस राज्य का रकबा ५९४२ वर्ग किमी. था | ये तीनों राज्य फूल के वंशज होने से फूलकिया स्टेट कहलाती थी | पटियाला के राजा भूपेन्द्र सिंह बड़े प्रसिद्ध हुए | उनके पुत्र यादवेन्द्र सिंह इटली में भारत के राजदूत रहे | इनके पुत्र पार्लियामेंट में सदस्य रहे | तथा पंजाब में अकाली दल के मंत्री मंडल में रहे | 13 वीं शताब्दी में हि ऐक और भाटियों की शाखा जैसलमेर से पंजाब गयी | इस साखा ने भी सिख धर्म अपनाया | लाहोर के पास अटले गाँव में रहने से अहलुवालिया कहलाये | इस वंश में जसा सिंह बड़ा ताकतवर हुआ | उसने ऐक राज्य कायमकिया और कपूरथला को १७८0 ईस्वी में अपनी राजधानी बनवाया | इसी खानदान में राजकुमारी अम्रताकोर थी | जवाहर लाल के मंत्री मंडल में मंत्री बनी थी | कपूरथला के वर्तमान महाराज को पाकिस्तान में युद्ध में उनकी वीरता के लिए भारत सरकार ने महावीर चक्र प्रदान किया | राजीव मंत्री मंडल में जो अरुणा सिंह थी | वह भी नाभा खानदान की हि थी | राजस्थान के बाद भाटियों की बड़ी संस्था पंजाब में हे |

 उतरप्रदेश जैसावत भाटी:-

उतरप्रदेश में गाजियाबाद ,बुलंदशहर ,एटा, और बरेली जिलों में भाटियों की भारी जनसँख्या हे | यह कब गए जैसलमेर से इसका तो पता नहीं चलता हे सायद जैसल के बाद हि गए जब पंजाब गए तभी यह सब जैसवत या जयसवाल कहलाते हे | रंगड़ मुसलमान भी भाटी हि थे |



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