२०५ महारावल जवाहरसिंह (भाटी 66) १८९१ ई.


 महारावल जवाहरसिंह 

महारावल जवाहरसिंह जी दानसिंह को पदच्युत करके संवत १९१७ के आषाढ सुदी ३ तारिख 26 जून १९१४ ई.को जैसलमेर राज्य सिंहासन पर बिराजे | आपका जन्म सन 18 नवम्बर १८८२ संवत १९३९ कार्तिक सुदी ८ शनिवार को हुआ | आप की आयु 32 साल सिंहासन पर विराजे उस समय थी | आपने अजमेर में कालेज शिक्षा ग्रहण की | और क्रेडिटकोर देहरादून में फौजी शिक्षा भी प्राप्त की | आप सम्राट द्वारा सन १९१८ की जनवरी को के .सी.एस.आई की उपाधि से विभुसीत किये गए |

जैसलमेर राज्य सिंहासन पर सुशोभित होने से पूर्व इनका प्रथम विवाह लूणार के सोढा सोहन सिंह की पुत्री लाछकंवर से हुआ | जिनसे बड़े राजकुमार श्री गिरधर सिंह का जन्म 13 नवम्बर १९०७ ई.को हुआ | दूसरा विवाह अमरकोट के सोढा नाहरसिंह की कान्य जड़ा कंवर से हुआ | यह विवाह संवत १९६३ विक्रमी वैसाख में हुआ | इन महारानी के कोई संतान नहीं हुयी | और स्वर्गवास फरवरी १९३४ में हुआ | राज्य सिंहासन पर आरुढ़ होने के पश्चात् आपका तीसरा विवाह सं १९१९ ई.बूंदी महाराव के भाई श्री गिरिराज सिंह की पुत्री श्री मती कल्याण कंवर से हुआ | इनके द्वित्य महाराजा कुमार श्री हुकुमसिंह का जन्म 14 फरवरी १९२७ ई. को हुआ इनके राज्य काल में प्रधान पद पर राय बहादुर मुरार जी राव सम्पटराय साहिब मुरारी लाल खोसला .एम ए .राय साहब पंडित जमनालाल और सहालपुर के मुन्सी नन्द किसोर मेहता बी.ए.एल.बी से क्रमस कार्य किया | डा. लखपत राय एम ए पी एच डी वार एटला प्रधान मंत्री का कार्यं करते थे | आपने सिंहासन आरुढ़ होने के पश्चात् इस राज्य को जो कई पीढियां के कुप्रबंध के कारन अत्यंत स्थित हो रहा था | उससे मुक्ति दिलाकर आपने सुप्रबंध से शनैः -शनैः राज्य कोष में वृद्घि की तथा कई राज्योंन्ती व् जनहित में कार्य किये | जिससे आज जैसलमेर सब तरह से प्रगति शील कहा जा सकता हे | मूलसागर में ऐक सुन्दर महल बनवाया | पुस्तकालय के लिए ऐक विशाल भवन बनवाया | जिसको बिनढम लाइब्रेरी कहते हे | वर्तमान में उसमे जिलाधीस कार्यालय हे | उसमे यह विराजमान होते थे | किले के तमाम महलों में आधुनिक चांदी का फर्नीचर बनवाया | सन १९३९से लगातार तीन साल अकाल पड़ने पर आपने मवेशी व् प्रजा के निर्वाहर्थ भरसक पर्यतन किये शहर व् किले पर बिजली की रोशनी का प्रबंध किया तथा किले के जैसल कुए पर इंजन लगा कर उससे शहर में नलों द्वारा पानी की टूटीयो लगवाई बागों व् तालाबों पर जाने के लिए कई सड़के तेयार करने का इंजन मंगवाया था | परन्तु जल के आभाव के कारन काम स्थगित रहा | जैसलमेर से बाड़मेर की तरह अपनी सरहद में सडक बनाने की योजना बनवाई | रेलवे लाईन जैसलमेर होते हुए कराची तक ले जाने की योजना महाराजा बीकानेर के साथ तय हो चुकी थी | राजा व् प्रजा में पिता पुत्र का सम्बन्ध था | यदि वास्तविक रूप से देखा जाये तो यह था की श्री मान महारावल जी साहब के दरबार में हर व्यक्ति हर समय में जाकर आपने दुःख सुख दर्द दूर करने का प्रयत्न करते थे | प्रजा के छोटे बड़े झगड़े आप तहकीकात करके मिटा देते थे | और ऐसा निष्पक्ष निर्णय करते थे की जिससे दोनों पक्ष के लोग खुश होकर उनकी जय घोष करते हुए आपने घर जाते थे | इनकी आज्ञा थी की कोई भी दुःख रत को शयन के समय भी आकर आपको सजग करके अपना दुःख निवेदन कर सकता था | जैसलमेर में आपने ऐक आधुनिक ढंग का अस्पताल व् हाई स्कूल का निर्माण करावे | महारावल जवाहरसिंह के द्वारा हाई स्कूल का निर्माण करवाकर उसका नाम श्री दरबार काल्विन हाई स्कूल जैसलमेर रखकर उसके ऊपर की मंजिल पर राज्य का चिन्ह व् विद्यालय के नाम का शिलालेख लगवाया | किन्तु राज्य सरकार ने उस विद्यालय का नाम बदलकर श्री सागर मल गोपा सीनीयर माध्यमिक विद्यालय जैसलमेर रख दिया | महारावल जवाहरसिंह के शासन काल को जैसलमेर का स्वर्ग युग ( स्वर्णिम काल )कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं हे | उनका स्वर्गवास 17 फरवरी १९४९ को हुआ |

                                                         


Previous Post Next Post