१८८ महारावल भीमसिंह
दूजा राज साहरे कर मेले दारी
भाटी भीम छुड़ाय दी ,नो रोजे नारी ||
महारावल भीमसिंह ने प्रचुर मात्र में धन इकट्ठा करके आपने विध्वस्त दुर्ग के जीर्णोधार में 50 लाख रूपये लगाये | इनके नाथू नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ | नाथू की माता बीकानेर की पुत्री थी | नाथू की सात वर्ष की आयु में महारावल का स्वर्गवास हो गया | महारावल के छोटे भाई कल्याण दास ने नाथू को विष दिलवा दिया | नाथू को लेकर फलोदी जाने पर नाथू का देहांत हो गया | तब महारानी बिकी जी अपना बंदोबस्त फलोदी के गढ़ में करके थाना बिठाकर बीकानेर चली गयी | तब फलोदी कुछ समय बीकानेर के पास रही बाद में जोधपुर के राजा के अधिकार कर लिया | महारावल का स्वर्गवास विक्रमी संवत 1670 माघ वदी २ को हुआ |
कुंडलिया
रावलजी श्री भीमसिंह बड़े गरीब नवाज
सोले सो चौतीस रा माह सुदी चौथ विराज
महा सो चौथ को विराज गढ़ की मरमत्त कीनी
नोरा जाती नित नो रोजे सोई न दीनी '
बली अकबर साह आन वरताई सावल