187 महारावल हरराज
महारावल मालदेव के पुत्र हरराज विक्रमी संवत 1618 पोष वदी 14 जैसलमेर के सिंहासन पर विराजे | इनके 15 रानिया थी | १.पारकर के सोढा वणधीर की पुत्री चंपाकंवर सती हुयी | २. गढ़ बीकानेर के बीका राजा कल्याण मल की पुत्री मानकंवर ३.गढ़ जोधपुर के राव मालदेव की पुत्री हरखदे जोधी से ४.मेड़ता के ठाकुर विजेराज की पुत्री साहिब कंवर सती हुयी | ५. गढ़ उदयपुर के सिसोदिया राना माधोसिंह की पुत्री पेहपकंवर से हुआ | ६.गोगुन्दा के झाला राजा मानसिंह की पुत्री लाल्कंवर सती हुयी | ७.गढ़ पाबा के चौहान राव नाढा जी की पुत्री माया बाई| ८. बाघेला राव जसराज की पुत्री मोकमकंवर सती हुयी | इनके पुत्र १.भीमसिंह २.कल्याणमल ३ भाखार्सिंह जी ४ सुल्तानसिंह जी और कन्याये थी १ बाई गंगाकंवर राजा रायसिंह जो बीकानेर और चंपा कंवर प्रथ्विराज को परनायी | महारावल बड़े प्रतापी राजा हुए | इनकी वार में अमराव १.गढ़ विकमपुर के बरसीध २.बरसलपुर के खीया भाटी दूजी डावी मिसल गढ़ बाड़मेर के बाड़मेरा राठोड़ गढ़ कोटड़ा के कोटडिया राठोड़ चरों उमराव सिरे बाकि सोढा खावड़ीया भाटी मुदेपुर थान सीहड़ भाटी जैसाण का थम | महारावल हरराज के समय में दिल्ली पर अकबर राज्य करता था | जिनकी सेवा में अन्यों की उपस्थति देखकर महारावल ने अपने छोटे पुत्र सुल्तानसिंह को अकबर की सभा में भेजा | जोधपुर के राव मालदेव के पुत्र चंद्रसेन ने जैसलमेर में पोकरण व् फलोदी परगनों पर अपना अधिकार कर लिया था | कुमार सुल्तानसिंह के वीरता से प्रसन्न होकर दिल्ली सम्राट ने वे दोनों प्रदेश भाटी राज्य में सामील कर दिए | महारावल हरराज ने किले में ऐक महल बनवाया जो हरराज जी के मालिये के नाम से प्रसिद्ध है | महारावल हरराज का स्वर्गवास संवत 1634 विक्रमी सं. 954 पोष सुदी ८ सोमवार को हुआ |
:: दोहा ::
रावल जी हरराज अन्न दाता महाराज