:: 189 महारावल कल्याण दास भाटी 50 ::
महारावल कल्याणदास वि.सं.माह वदी बीज को जैसलमेर के सिंहासन पर विराजे | इनके दो रानिया थी १.पाटमदे २ अमृतदे थी | कल्याणदास के दुष्ट आचरण से सभी दुखी थे |
:: महारावल मनोहरदास (भाटी 51 )इ.1637 ::
महारावल मनोहरदास जैसलमेर के सिंहासन पर विक्रमी संवत 1684 भादवा वदी ६ को विराजे | इनके 9 रानिया थी | १.भादरा जूं के ठाकुर केसरसिंह जोधा की पुत्री २.रीया के ठाकर किशोरदास मेड़तिया की पुत्री सादाकुंवर सती हुयी ३.अमरकोट के सोढा भोजराज की पुत्री अतरंग दे सती हुयी | ४.चांपावत ठाकर गोपालदास की पुत्री सुजान कंवर सती हुयी ५.कोटड़ा के जोगीदास कोटडिया की पुत्री सीयादे जिसने संवत 1681 मानसरोवर कुआ
बनवाया | ६.पोकरना राव नीम्बा की पुत्री से विवाह किये महारावल मनोहरदास जी बड़े प्रतापी राजा हुए | इन्होने अपने पिता द्वारा खोये हुए समस्त राज्य पर अपना अधिकार जमाया और जैसलमेर के दुर्ग की तमाम बुर्जो को पक्का बनवाया | इनके संतान नहीं होने के कारन महारावल मालदेव के पुत्र भानिदास के पुत्र सीयाजी के पुत्र रामचंद्र को गॉड लिया | बाई उदेकंवर गढ़ जोधपुर के राजा गजसिंह को परनायी | महारावल मनोहरदास जी ने आठ बुर्ज बनवाये | बंगल खां बलोच को मारा |
:: कुंडलिया ::
रावल मनोहरदास बड़े प्रतापी भूप
सोलह सो चोरासिये राज तिलक चो रूप
राज तिलक चो रूप भुरज भारी बनवाया
जर खरचे अनपार काम पुखता करवाया
यवन जोरावर जंग रोज का करता कावल
बंगल खां मारियों श्री महारावल
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