198 महारावल श्री अखेसिंह (भाटी 59 ) 1722 ई.और उनके द्वारा अखेशाही चांदी के सिक्के का प्रचलन और पदम्सिहोत भाटी टोटा गाँव

198 महारावल श्री अखेसिंह (भाटी 59 ) 1722 ई.

महारावल श्री अखेसिंह वि.सं.1779 सावण सुद 14 को जैसलमेर के राजसिंहासन पर विराजे | इनके 10 रानिया थी १.सोढ़ी ठाकुर राजसिंह की पुत्री बनेकंवर २.अमरकोट के राणा हमीर की पुत्री भीम कंवर ३.कोटड़ा के कोटड़ीया रांणा माधव सिंह की पुत्री सरूप कंवर ४.खुहड़ी के सोढा गंगदास ठा. भेरूदास की पुत्री वखतकंवर | कुंवर ,मूलराज जीवो ने कोयर कराया व् सीता राम का मंदिर कराया ५.जसोल के महेचा रावल अजबसिंह की पुत्री वदन कंवर ६.गढ़ पाटोदी के जोधा ठाकुर सूरजमल की पुत्री सरूपकंवर ७.चौहान जी राणा पचान जी की पुत्री सोन कंवरा ८.चौहान जी ठा. मानसिंह की पुत्री लालकंवर सती हुयी तथा चौहान सर कुआ बनवाया | 9.गढ़ जोधपुर के राजा अजीतसिंह की पुत्री फूलकंवर १०.तातुवास के ठाकुर जसकरण जी की पुत्री वखत कंवर | इनके पुत्र १.मूलराज २.खुसालसिंह ३.रतनसिंह जी गुमानसिंह लाठी ठाकुर के खोले बेठे ४.पदमसिंह थे | महारावल अखेसिंह जब सिंहासन पर विराजे थे उस समय गृह कलह से शिकारपूर के अफगान दाउद खां ने भाटी राज्य का समस्त पश्चमी भाग छीन लिया था | भाटियों की पुरानी राजधानी देरावर और खडाल प्रदेश को अपनेअधिकार में कर लिया और भावी भावलपुर राज्य की उसने नीव डाली | इस समय जोधपुर में महाराज वखतसिंह अपने भतीजे रामसिंह को गादी से उतारकर आप जोधपुर के सिंहासन पर बेठ गए थे | तब क्रोधित होकर रामसिंह ने मराठों की सेना लेकर जोधपुर पर आक्रमण किया उस समय महारावल अखेसिंह ने स्वयं सेना लेकर जोधपुर के महारावल वखतसिंह की ससहायता के लिए जोधपुर गए | उसमे मुडवे जंग में मोहता फतेहसिंह दीवान शहीद हुए | जिससे नागोर का किला व् शहर बच गए | वहां पर मोहता फतेसिंह की छतरी अभी भी मौजूद है | महारावल अखेराज ने जैसलमेर में चौरी डकेती बंद की | अखे विलास महल और अखे पोल बनवाई | सं.1794 विक्रमी में गढ़ विकमपुर खालसे कियो | राव कुम्भाने मारियो 18०२ वि. में आपने पिता का मंडप भरी बनवाया | उस समय दिल्ली पर मुहमद साह बादशाह था उसके बाद अहमद साह बैठा |

  अखेसाही चांदी के सिक्के का प्रचलन 

महारावल ने प्रचलित मोहमद साही सिक्के को बदल कर अपने नाम से अखेसाही सिक्के का प्रचलन किया | जो चांदी का सिक्का होता था | जो रुपया ,अठ्ठनि ,चौआनी व् दुआनी का सिक्का होता था |

  पद्मसिहोत भाटी १५३ ( बाघा गाँव )
महारावल अखेसिंह के पुत्र पदमसिंह के वंशज पदमसिंहोत भाटी कहलाये | इनका गाँव टोटा है | पदमसिंह का वखतसिंह का तिलोकसिंह का रावतसिंह के वंशज टोटा गया | इनके चार पुत्रिया थी १.अमरकंवर२. चन्द कंवर राजा गजसिंह बीकानेर को परनायी ३.वनेकंवर गढ़ बीकानेर राजसिंह को परनायी ४.विजेकंवर गढ़ जोधपुर परनायी |
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