:: महारावल देवीदास भाटी 43 1456 ई .::
महारावल देवीदास विक्रमी संवत 1513 को जैसलमेर राजसिंहासन पर विराजमान हुए इनके 5 रानिया थी | गढ़ चितोड़ के सिसोदिया राणा कुम्भा की पुत्री दिलकंवर २ सोढ़ी जी राणा सुजान की पुत्री सदय कँवर ३ झालावाड के राजा जोगीदास की पुत्री ४ चौहान राव कानाजी की पुत्री दाड़मदे ५ गढ़ अजमेर के राजा गोड़ मालदेव की पुत्री ६ थिराद के चौहान राणा जसवंत की पुत्री भांण कँवर थी | तीन रानिया सती हुयी | इनके पुत्र १ जेतसिंह २ दूदा ३ सिहा ४ मदा ५ सातल ६ ठाकरसी ७ रामजी थे | पुत्री पेम्प कँवर व् रामकंवर थी | महारावल देवीदास अपने पित्रहंता को मारकर अपनी प्रतिज्ञा पूरण होने पर संवत 1513 विक्रमी में राजतिलक का उत्सव मनाया | देवीदास ने अपने नाम से देवीकोट गाँव बसाया और दुर्ग का निर्माण कराया | गाँव के पास आशा देवी के मंदिर का निर्माण करवाया | महारावल देवी दास के समय चनों और बलोचों ने उपद्रव मचाया महारावल स्वंय संग्राम भूमि में जाकर के शत्रुओं को 1300 अनुयायिओं के साथ मारा वापिस लोटते हुए कोटडे व् बाड़मेर के सामंतों को उचित शिक्षा देकर आपने अधीन किया | राव जोधा के पुत्र बीका ने जिसका विवाह पूगल हुआ था | उन्होंने कोडमदेसर नामक तालाब के पास नवीन दुर्ग बनवाना आरंभ किया | उसको रोका और किलो पाड़ किवाड़ लाकर बरसलपुर के गढ़ में लगवाया |
:: छपय ::
रावल देवी दास बड़ो बहादुर राजा
पंद्रह सो त्रयोदस संवत गादी बिराजा
अमरकोट को पाड़ सोढों को मारया बलकर
माला महेचा मार जेर कीना सबहि सर
बीके जोधावत पर चढ़ी फोज घमसोन सो
किलो पाड़ किवाड़ भड़ ले आया अवसाण सो
:: मदा भाटी 104::
महारावल देवीदास के पुत्र मदा के वंशज मदा भाटी कहलाये
:: दूदा भाटी 105 ::
महारावल देवीदास के पुत्र दुदा के वंशज दुदा भाटी कहलाये
:: सीहा भाटी 106::
महारावल देवीदास के पुत्र सीहा के वंशज सीहा भाटी हुए | खीहाला गाँव बसाया |
:: सातलोत भाटी 107::
महारावल देवीदास के पुत्र सातल के वंशज सातलोत भाटी हुए |
:; ठाकुरसिहोत भाटी 108::
महारावल देवीदास के पुत्र ठाकुरसी के वंशज ठाकुरसिहोत भाटी हुए |
:: देविदासदासोत भाटी 109::
महारावल देवीदास के पुत्र रामुजी के वंशज देवीदासोत भाटी कहलाये | सिणधरी गाँव में निवास करते हे |