सुखप्रिया भाटी 101, केलाइच भाटी 102,जैसा भाटी बीतीणा103,और महारावल चाचकदे ( भाटी 42) 1449 ई .

:: सुखप्रिया भाटी 101 ::

महारावल बेरसी के पुत्र उगे के वंशज सुख्प्रिया भाटी कहलाये |
:: केलाइच भाटी 102::

महारावल बेरसी के पुत्र मेलंग के वंशज केलाइच भाटी कहलाये | केलावा गाँव बसाया जो जैसलमेर जिले में पोकरण झिनझिनयाली रोड़ पर हे |
 :: जैसा भाटी बीतीणा 103 ::

महारावल बेरसी के पुत्र जैसा के वंशज जैसा भाटी कहलाये | गाँव बीतीणा बसाया |
:: 181 महारावल चाचकदे ( भाटी 42 ) 1449 ई .::
महारावल चाचकदे देव जैसलमेर राजसिंहासन पर विक्रमी संवत 1506 में विराजमान हुए | इनके 11 राणीया थी १ ईडर के सेखाजी जी की पुत्री अणभे कँवर २ गढ़ मांडल के हाडा राव जेतसी की पुत्री विलेकंवर ३ मंडोर के राव राठौर जोधा की पुत्री रूपकंवर ४ सिरोही के देवड़ा राव साईंदास की पुत्री विलेकंवर पाटवी कँवर देविदास राव जोधा का दोइता था | ५ अमरकोट के सोढा राणा प्रयाग की पुत्री जाम कँवर थी | महारावाल जब 11वा  विवाह करने अमरकोट को गए | और विवाह कर वापिस स्वदेश लोट रहे थे | तब सोढों के द्वारा 200 भाटियों सहित युद्ध में शहीद हुए | इन्होने चाचकदे नामक सरोवर का निर्माण मेघा गाँव के पास करवाया चाचकदे की म्रत्यु का समाचार सुनकर उनके एकमात्र पुत्र देविदास ने सपथ ली की जब तक में अपने पित्रहन्ता को उचित दंड न दूंगा तब तक राज्य सिंहासन पर नहीं बेठुंगा | उन्होंने तुरंत हि अपनी सेना के अमरकोट पर आक्रमण कर सोढा राणा मांडप को 500 अनुयायियों के साथ मारकर अपने पिता का बदला लिया और अमरकोट लुट कर सारी सम्पति जैसलमेर लाये |


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