रूपसी भाटी , परबत भाटी , रायधर भाटी , एका भाटी ,और 180 महारावल बेरसीजी भाटी ४१ 1439 ई . और बेरसी द्वारा राव जोधा को मंडोर का शासन वापिस बिठाना

::रूपसी भाटी , परबत भाटी , रायधर भाटी , एका भाटी ,और 180 महारावल बेरसीजी भाटी ४१ 1439 ई .:: ::

 रूपसी भाटी 97:: महारावाल लक्ष्मण सिंह के द्वतीय पुत्र रूपसी के वंशज रूपसी भाटी कहलाये | रूपसी गाँव बसाया जो जैसलमेर के पश्चिम लुद्र्वा के पास हे | :: परबत भाटी 98:: महारावल लक्ष्मण सिंह के तृतीय पुत्र सादूल के वंशज परबत भाटी कहलाये :: रायधर भाटी 99 :: महारावल लक्ष्मण सिंह के चौथे पुत्र रायधर के वंशज रायधर भाटी कहलाये | द्व और धानेली गाँव जैसलमेर में इनके हे और कुछ घर इनके मेरे गाँव तेजमालता में भी हे | :: एका भाटी 100:: महारावल लक्षमण सिंह के पांचवे पुत्र एका के वंशज एका भाटी कहलाये | एका गाँव बसाया जो वर्त्तमान में फलोदी के पास में हे | :: 180 महारावल बेरसीजी भाटी 41 1439 ई .:: महारावल बेरसीजी जैसलमेर के सिंहासन पर विक्रमी संवत 1496 को विराजमान हुए इनके 6 रानिया थी | १ डूंगरपुर के रावल कुंजा सिसोदिया की पुत्री अगर्कंवर २ राजा नोहड़ सोढा की पुत्री सजन कँवर ३ राठोर भोजराज की पुत्री ४ राव देसल चावड़ा की पुत्री ५ गढ़ बाणा के झाला राजा अलसी दास की पुत्री राजकंवर | बाव के चौहान राणा भोजराज की पुत्री सुरज्कंवर रानिया थी | 4 रानिया सती हुयी बाई भानं कँवर थी | महारावल बेरसी के पुत्र १ चाचकदे २ ऊगा ३ मेलुंग ४ जैसा नामक चार पुत्र थे | महारावल बेरसी ने किले में अपनी राणी की सस्मृति में सूर्य का मंदिर तथा बुलिसर व् रानीसर कूप बनवाये| महारावल बेरसी के राजत्व कल में मंडोर पर राव रीडमल राठोर का शासन था | राव रीडमल का भांजा चितोड़ का राणा कुम्भा पुत्र मोकल था | राव रीडमल ने कुम्भा के निकटतम सम्बन्धी राघव देव को मरवा दिया | कुम्भा आपने मामा रीडमल के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहता था | अतः उसने कुछ सरदारों को अप्रत्यक्ष समर्थन देकर रीडमल को मोत के घाट उतरवा दिया | उस वक्त जोधा भे चितोड़ में था | इसके बाद जोधा भागकर जैसलमेर में आकर महारावल बेरसीजी की शरण ली १५ वर्ष तक मेवाड़ के शासकों का मंडोर पर अधिपत्य रहा तब जैसलमेर के महारावल बेरसी भाटी ने मंडोर पर सेना भेज कर विजय प्राप्त करके मंडोर राव जोधा को दी जब जोधा ने निम्न दोहा कहा :- सुपह न वागढ बेरसी पिंड अरी देयण प्रबोध् | महारावाल मंडोर रखियो जैसोण गत जोध || तरवे कमध लखमण सूत नरपति नरेश || निज ऊपर कर जोध ने दीध मंडोर देश ||
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