१७४ महारावल जेतसिंह ( भाटी ३५ ) १२७५ ई.

:: १७४ महारावल जेतसिंह ( भाटी ३५ ) १२७५ ई.::

महारावल जेतसिंह महारावल चाचकदेव १६९ के पुत्र तेजराव के यूवा अवस्था में शांत हो जाने पर उनके बड़े पुत्र जेतसिंह तथा छोटे पुत्र करणसिंह था । उचित राज्याधिकारी जेतसिंह था । किन्तु सामन्तगणों ने करणसिंह को राजगद्दी पर बिठा दिया था । तब जेतसिंह गुजरात चले गए । पुनपाल को पदच्युत करने पर उचित राज्याधिकारी जेतसिंह जैसलमेर सिंहासन पर विक्रमी संवत १३३२ में विराजमान हुए इनके ९ रानिया थी । १ पारकर के सोभराज सोढा की पुत्री रामकंवर २ राठोड़ राव टीडाजी की पुत्री फूलकंवर ३ सोलंकी राव देपाल देव की  पुत्री पुखदर ( परबंदर ) की सिणगारदे ४ गढ़ पाबा के चौहान राव जीवाजी की पुत्री सोढिया ५ गुजरात के बारड़ा राव शिवनारायण की पुत्री से हुए । इनके पुत्र १ मूलराज २ रतनसिंह थे । मूलराज के पुत्र १ देवराज २ धनराज ३ बतराज थे । राजकुमार रतनसिंह के १ गड्सी २ कानड़  नामक २ पुत्र थे । जेतसिंह के राजत्व काल में मोहमद खूनी ने मंडोर पर आक्रमण किया था । जिससे मंडोर राणा अधिपति राणा रूपसिंह पड़िहार ने महारावल जेतसिंह का आश्रय लिया था । राजकुमार मूलराज के देवराज ने जालोर के राजा सोनगरे चौहान की कन्या से विवाह किया । जिसके १ केयर २ जगन ३ सिखन ४ हमीर नामक पुत्र थे । इनके हमीर अत्यंत बलवान और साहसी था । दिल्ली पती अलाउदीन के सेना पती नगर थटा और मुलतान से १५५० खच्चरों पर खजाना भेज रहे थे जिसको इन राजकुमारों ने लूट लिया । और समस्त धन जैसलमेर ले गए ।


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