जैसलमेर के दुर्ग में देवियों के प्राचीन मंदिर लक्ष्मी नाथ का मंदिर एंड जैन टेम्पल

१ . आइनाथ देवी का मंदिर यह हवा प्रोल से ऊपर राज प्रसादों में बनाया हुआ है । यह मंदिर बहुत प्राचीन है । इसमें निराकार काठ की प्रतिमाएं तथा सातों शक्तियों की पाषाण की मूर्ती दर्शनीय है ।

२ .  घंटियाली देवी का मंदिर - यह मंदिर चोवटे में बना हुआ है । इस मंदिर का निर्माण संवत १८१८ विक्रमी में महारावल रणजीत सिंह ने करवाया था । इसमें श्वेत पाषाण की मूर्ती दर्शनीय है ।

३ . शीतला माता का मंदिर - यह मंदिर सूर्य मंदिर के पास बना हुआ है । इस मंदिर के ऊपर मिलाप का वैष्णव मंदिर है ।

४ . रणछोड़ जी का मंदिर जेल के पास कुंएं के ऊपर यह प्राचीन मंदिर बना है । इसमें श्वेत पाषाण की दिव्या मूर्ती है ।

५ . रत्नेश्वर महादेव का मंदिर - यह मंदिर श्री लक्ष्मी नाथ जी के मंदिर के सामने ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है । इस मंदिर का निर्माण १४९६ में महारावल बेरसी ने अपनी पिर्य राणी रतना के नाम से करवाया था ।

६ . सूर्य मंदिर - इस मंदिर में सर्वधात की सूर्य भगवान की मूर्ती रथ में स्थापित है । इस मंदिर का निर्माण महारावल बेरसी ने संवत १४९६ में अपनी राणी सूरज कँवर की स्मृति  में बनवाया था ।

७ . खुशाल राज माहेश्वरी का मंदिर - यह मंदिर चोवट में बना है । इस मंदिर की प्रस्तर कला दर्शनीय है । पटूओ की हवेली तथा अमर सागर आदिश्वर भगवान के मंदिर की कला के समान इस मंदिर की कला दर्शको को अपनी और आकर्षित करती है ।

८ . रामदेवजी का मंदिर - यह मंदिर जेल के सामने बना हुआ है । इसे महारावल रणजीत सिंह ने संवत १९१९ में बनवाया था ।

९ . लक्ष्मी नाथ जी का मंदिर - यह मंदिर किले के ऊपर जैसलु कुएं के पास बना है  इस विशाल वैष्णव मंदिर का निर्माण महारावल बेरसी के राज्यकाल में संवत १४९४ में हुआ था । इस मंदिर के तोरणों , दरवाजो सभा मंडपों , स्थम्भों तथा अन्य पाषाण कला दर्शनीय है । सभा मंडप में की गई चित्रकारी जलोट के ऊपर चांदी का तोरण , चांदी की भीते , सोने के किवाड़ भक्तो की सच्ची श्रधा के प्रतिक है ।




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