१६२ महारावल दूसा भाटी और पाहू भाटी २७ भिन्या भाटी और पबनासुर भाटी

 :: पाहू भाटी २७  ::

महारावल बाछुजी के पुत्र बपेराव के वंशज पाहू भाटी कहलाये । इनके गाँव जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ तहसील में मेघा , विंजोता , पोकरण तहसील में दूधू , आस करना , में पाहू भाटी निवास करते है । बाप के पास सागूरी में पाहू भाटी निवास करते है । पाहुओ ने विक्रमी संवत ९९३ को जोइयो से पूगल लिया । विक्रमपुर पर भी अधिकार किया । पाहू भाटी वागड़ ने वागडासर ( नोख ) में बसाया । पाहू भाटी बीकानेर गाँव भरू , नगासर , गाँव भडु , खारा , गंगोई व् गीगासर में निवास करते है ।
:: भींया भाटी २८ ::

महारावल बाछुजी के पुत्र भींया के वंशज भाटी भीया कहलाये । इनका भीया गाँव जो जैसलमेर से ८  km . है ।

:; पबणासुर भाटी २९  ::

महारावल बाछुजी के पुत्र पबणा के वंशज पबणासुर भाटी कहलाये ।

::162 महारावल दूसा जी भाटी 23 ::

महारावल दूसाजी लुद्र्वा के सिंहासन पर विक्रमी संवत ११०० में अषाढ़ सुदी सातम को विराजे इनके ७ रानिया थी । १ डूंगर पुर के राव सिसोदिया वरण की पुत्री २ खेड़ के गोयल राव जेतसी की पुत्री लखमादे ३ गढ़ सांभर के चौहान राव जैसिंह की पुत्री राजकुंवर ४ गढ़ डेल्ही के तुंवर राजा सुन्दरपाल की पुत्री मान कुंवर ५ देरावर के दईया वरण की पुत्री ६ चावड़ा राजा जेतसी की पुत्री ७ सोढ़ी सोढान की पुत्री थी । पुत्रिया १ मान बाई २ सतु बाई थी । दूसाजी बड़े साहसी थे । इनका भाई बपेराव सांवत था । बतीस गज पिछोड़ी का एक आंटा आता था । महारावल दूसा ने अपने भाई बपेराव व् अणधाकी सहायता से नगर थटा के बलोच गाजी को मार कर उसके १४० घोड़े लूट लिए उनमे से एक घोड़े की कीमत एक लाख थी । दूसा ने यदुराव खिँची साहसी लुटेरा जो की पुगल तक लूट खसोट करता था उसको उसके अनुयायियों सहीत मारा । इसी कार्य से व्यापारी निर्भय हो गए । दूसा के राज्य में अमरकोट के सोढा राणा हमीर ने लूट मचाना शुरू कर दिया । महारावल ने पहले राणा हमीर को समझाया परन्तु हमीर के परवाह न करने पर क्रोधित होकर दुसा ने अमरकोट पर आक्रमण कर दिया और राणा हमीर को परास्त किया ।
:: छपय ::

पाट बैठे दूसा बाजा बहुबाजित बाजे ।
हये बजे खुरतालगाज गजराज सो गाजे ।
संवत इग्यारेसो वल वर्ष तेमासी ।
सुद आषाढ़ सप्तमी भूप बैठो रिव वासी ।
सिर ढ़लत छत्रह धर्मो कर आचार कल आपणे  ।
विरदाव भाट बोलत सरस रावल भयो बाछु तणे ।

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