147 राजा रेणसी (भाटी ८)

::राजा रेणसी (भाटी 8)::

लोमनराव का भाई रेणसी अपना राज्य चिन्ह मेघाडम्बर तथा आदि नारायण की मूर्ती को लेकर जंगलो में भाग गया । मुसलमानों की सेना पंजाब प्रान्त को नष्ट करके वहा का राज्य पडिहारो टाको वाराहो आदी राजपूतों को देकर अपने देश पुनः लोट गई । राव रेणसी विखा में पाट संवत 535 विक्रमी को बेठे । रानी सोलाकियाणी राव गोहल गढ़ विरनाला की पुत्री थी । कुंवर भोजसी था

:: 148 राव भोजसी (भाटी 9)::

राव भोजसी विखा में पाट बैठा संवत 566 विक्रमी दरिया के कांठे फिरता रहया । राणी झालीराव साढ़ा की पुत्री माणक कुंवर थी । पाटवी मंगलराव थे ।
:: 149 राव मंगल राव (भाटी 10)::

राव मंगल राव संवत 576 विकर्मी को अपने पिता के स्वर्गवास के बाद सिंहासन पर विराजे ।इनका विवाह गढ़ जुनार के पडिहार राजा मुजाब की पुत्री सुगणदे तथा गढ़ मंडोर के पंवार राजा सांवत की पुत्री फुलकंवर से हुआ । इनके पुत्र मंडमराव मंगलराव ने  मुननवाहन नामक गढ़ का निर्माण करवाया । मुसलमानों ने मंगलराव पर अचानक आक्रमण किया । वे मुसलमानों के प्रबल वेग को सह न सके । वे अपने बड़े पुत्र मंडमराव को साथ लेकर भाग गए । मुसलमानों ने उनका पीछा किया परन्तु हाथ न लगे ।


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