::144 महाराज खेमकरण ( भाटी 5)::
महाराजा खेमकरण संवत 454 विक्रमी को गढ़ भटनेर के सिंहासन पर बेठे । इनका विवाह गढ़ पूगल के गहलोत राजा दोमट की पुत्री हेम कुंवर से हुआ दूसरा गढ़ बिट्दे के मक्वना राज वारण की पुत्री अमोलकदे के साथ हुआ दोनों रानिया सती हुई इनके पुत्र 1 नरपत 2 मांडण 3 जुहड़ थे बाई माग बाई सोभाग्वती थी
:: 145 महाराजा नरपत (भाटी 6)::
महाराजा नरपत विकर्मी संवत 492 को गढ़ लाहोर के सिंहासन पर बिराजे । इनके 3 रानिया थी ।इनका विवाह सोल कियानी विराल देव की पुत्री सणगारदे दूसरा विवाह गढ़ दिल्ली के तुन्वर राजा धरापाल की पुत्री रेनकँवर से हुआ था । इनके पुत्र 1 गजू 2 बजु तथा बाई विरधकँवर काशी के राजा को परनाइ थी । गजू और बजु ने अपने पिता की मृत्यु के बाद सिंहासन के लिए आपस में भयंकर युद्ध किया । इस युद्ध में भारत के बहुत से राज्यों के राजा दोनों दलों में भाग लेकर बहुत दिनों तक लड़ते रहे । अंत में गजू अपने पूर्वजो के मेघाडम्बर छत्र को लेकर बुखारा चला गया और छोटे राजकुमार बजु ने अपने पिता का समस्त राज्य अपने अधिकार में कर लिया । गजू अपने छोटे भाई बजू को परास्त करने के लिए बुखारा के बादशाह से मदद लेने गये थे और उनकी सेना की सहायता से गजू ने अपने भाई को हराकर अपना समस्त राज्य वापस ले लिया.