141 महाराजा भीम ( भाटी ३ ) और १४२ महाराजा सतोरव ( भाटी ४ )

:: अन्तेराव भाटी (भाटी २)::

महाराजा भूपत के तृत्या पुत्र अन्तेराव के वंशज अन्तेराव भाटी कहलाये ।।

:: महाराजा भीम भाटी (भाटी ३)::

महाराजा भीम संवत 395 वि.  को गढ़ भटनेर के सिंहासन पर बेठे इनके ५ रानिया थी इनका विवाह दयापुर पाटन के राजा दईया की पुत्री जामकँवर से दूसरा गढ़ श्रीनगर के गोड़ राजा माणक देव की पुत्री से तीसरा चावडी राजा लाखनसी की पुत्री चंपाकँवर से चोथा नरवर के कछ्वाई राजा पालानदेव की पुत्री रमावती से पांचवा बडगुजर हरिसेन की पुत्री सतो के देस से हुआ इनकी चार रानिया सती हुई कुंवर सतोराव सागीयाजी रो दियाड़ो हुओ बाई बलेकंवर थी ।।

::महाराजा सतोराव भाटी (भाटी ४)::

महाराजा सतोराव भाटी गढ़नेर के सिंहासन पर संवत ४१६ वि. को विराजमान हुए इनके ५ रानिया  थी इनका विवाह चौहान राव सहसा जी की पुत्री लाल्कंवर से दूसरा गढ़ देवसा के कछ्वाई राजा आसलदेव की पुत्री सुजाण देव से हुआ पांच राणी सती हुई इनके पुत्र १ खेमकरण २ फुलराव ३ भाणसी तथा बाई सोदरा थी ।

:: लाहोर पर पुनः अधिपत्य ::

महाराजा सतोराव ने लाहोर को पुनः अपने अधिकार में कर लिया और कुल देवी सांगीया जी की कृपा से गजनी तक धाक जमाई मुलतान शहर मुसलमानों के हाथ बारम्बार आक्रमणों से शुन्य हो गया था उसको फिर से आबाद किया.



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