202 महारावल बेरीसाल ( भाटी 63 ) १८६३ ई.

 महारावल बेरीसाल 

महारावल रणजीतसिंह की म्रत्यु के बाद संवत १९२० एकम गुरुवार को उनके लघु भ्राता महारावल बेरीसाल राजसिंहासन पर बिराजे |पहले तो इन्होने झगड़े और कुप्रबंध के कारन सिंहासन पर बेठने से मना कर दिया था | परन्तु तत्कालीन ए.जी.जी.कर्नल इडन द्वारा समझाए जाने पर हि उन्होंने राज भार संभाला | इनेक राज्य संभालने के कुछ समय बाद हि भारी दुष्काल पड़ा | महारावल ने राजकोष से द्रव्य व्यय कर अपनी पिर्य प्रजा की रक्षा की | इनका विवाह सोढा अमरसिंह की पुत्री तथा दूसरा विवाह बिशनसिंह की पुत्री से हुआ | इनेक समय में भी केसरसिंह हि राज्य सञ्चालन करते थे |

परन्तु उनकी म्रत्यु के पश्चात् उनके छोटे भाई छत्रसिंह ने राज्य प्रबन्ध अपने हाथ में लिया | परन्तु प्रधान कार्य दीवान नथमल हि करते थे | संवत १९२७ में महारावल ने अपने राज्य का दोरा किया | संवत १९३० विक्रमी में आपका डूंगरपुर रावल उदयसिंह की कन्या से विवाह हुआ | इन्ही के राज्य काल में संवत १९३६ में चेत्र में ब्रिटिस सरकार के साथ नमक के ठेके के बाबत अहद नामा हुआ | जिसमे यह तय हुआ की राज्य में काम लायक १५००० मन से ज्यादा नमक तेयार नहीं किया जायेगा | ये भी राज्य कार्य में रूचि नहीं रखते थे | अतः देश की दशा सोचनीय थी | संवत १९३१ वि.में जोधपुर महाराजा तखतसिंह के पोत्र कुमार फतेहसिंह जैसलमेर आये और ५ मास पर्यंत यहाँ रहे | महारावल ऐक सह्श्त्र मुद्रा प्रति उन्हें देते थे | और जाते समय अपने पितृत्व छत्रसिंह की दूसरी कन्या के साथ उनका विवाह करवा दिया | संवत १९३३ वि.में प्रथम दिल्ली दरबार हुआ | जिसमे भारत के सभी राज्य शामिल हुए | परन्तु आप अस्वस्थ होने के कारन उस दरबार में न जा सके | महारावल बेरीसाल उदार व् धर्मात्मा राजा थे | संवत १९४७ वि.फागण वदी अमावस को प्रातः १०:30 पर आपका स्वर्गवास हुआ | आपने 27 वर्ष राज्य किया | ये भी निसंतान थे |                                            

 :: दोहा ::

गादी श्री जैसाण गढ़ जाद्वेन्द्र रणजीत |

 उन्नीस सो दो संवत में बैठो सुसजीत||

                भाटी कहत गोपाल हुकम केशरसिंह किन्हो |

निति निपूर्ण बुद्धिमान प्रजा को सुख ही दीनो ||

 चोर दुष्ट को दंड ,चैन ,वर्तयो आबादी |

सारी बात संभाल खरी हुशियारी गादी||


                                                             

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