:: महारावल सबलसिंह भाटी ::
महारावल सबलसिंह जैसलमेर के राज सिंहासन पर संवत 1709 विक्रमी को विराजे | इनके 8 रानिया थी | १.ग्राम भुकरके के बीका ठाकुर सुन्दरदास की पुत्री सबरंग दे २.गाँव बूडसु के मेड़तिया ठाकुर भोपत जी की पुत्री सुजाण कंवर सती हुयी ३.जेमलोत जी ठाकुर वनमालीदास की पुत्री लडूकंवर ४.सोढ़ी ठाकुरा जैसिध जी की पुत्री सुजाण कुंवर सती हुयी ५.सोढ़ी जी ठाकुर किसनदास जी की पुत्री मांन कंवर सती हुयी ६. कछवाई ठाकुर कानसिंह की पुत्री विलेकंवर ७.झाली जी ठाकुर मानासिंह की पुत्री अनोपकुंवर ८.करमसोत ठाकुर भागचंद जी की पुत्री खेवलसर | इनके कुंवर १.अमरसिंह २.रतनसिंह ३ राजसिंह ४ माहसिंह ५ माधोसिंह ६.भावसिंह ७.बांकीदास | इनके पुत्रिया १.रतनकंवर २ महाकुंवर ३ दीपकुंवर ४ खुसाल कंवर ५.चाँद कुंवर थी | सबलसिंह अपने मामा किसन गढ़ के महाराज के साही सम्राट शाहजहाँ की सेवा में उच्च पद पर नियक्त कर शाही खजाने को लुटने वाले अफगानों को पराजीत कर साही खजाने का समस्त धन सम्राट को वापिस ला दिया | इससे संतुष्ट हो कर सम्राट ने जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह प्रथम को रावल रामचंद्र के स्थान पर सबलसिंह को महारावल पद पर नियुक्त करने की आज्ञा दी | महारावल रामचन्द्र से पहले हि लोग सब अशुन्ष्ट थे | इसलिए महाराजा जसवंतसिंह को रामचन्द्र को महारावल पद से अलग करने में विसेष्ट कष्ट नहीं उठाना पड़ा | परन्तु राठोड़ अधिपति ने कुमार सबलसिंह से अपना पोकरण और फलोदी प्रान्त वापिस करने की प्रतिज्ञा लिखवा कर अपनी सेना की सहायता से सबलसिंह को जैसलमेर महारावल बना दिया |
:: सबलसिंह द्वारा पोकरण ,फलोदी जोधपुर को देना ::
महारावल सबलसिंह संवत 1709 कार्तिक वदी ८ को मध्यान्ह समय राजसिंहासन पर विराजमान हुए | महारावल की पदवी प्राप्त करने पर सबलसिंह ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार जोधपुर नरेश जसवंत सिंह प्रथम को पोकरण और फलोदी दिए | सबलसिंह के समकालीन मेवाड़ में राणा राजसिंह थे |
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महारावल सबलसिंह |