महारावल जसवंत सिंह द्वारा हाबूर पर आक्रमण

 :: महारावल जसवंत सिंह द्वारा हाबूर पर आक्रमण ::

महारावल का आदेश था की तेजमाल जी के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार कोई नहीं करें किन्तु हाबुर के वीर उनड़ भाटियों ने तेजमाल जी का दाह संस्कार कर दिया | उससे क्रोधित होकर महारावल ने हाबूर पर अपनी सेना भेजी | हाबूर के भाटी अपने गाँव को छोड़कर सिंध प्रान्त चले गएँ |  और वहां बस गए \
महारावल जसवंतसिंह द्वारा रामसिंह के तीन अन्य पुत्र अखेराज , दुर्जनसाल , और कानजी का भी वध जहाँ मिले वहां कर दिया | कालिमाली तेजमालता पर बने गढ़ को सेना ने ध्वष्ट कर दिया तब तेजमाल जी के ४ पुत्र अखेराज के पुत्र दुरजनसाल वा कानजी के पुत्र तथा उदयसिंह अपने परिवारों को लेकर आबू चले गए | और कुछ समय तक वहां रहकर मेंनों की फौज तेयार करके जैसलमेर महारावल पर आक्रमण किया | तेजमाल के पुत्र सुल्तान सिंह ने अपनी तलवार लेकर महारावल के पास पहुँच गए तब महारावल ने मुंह में घास पकड़कर क्षमा मांगी | तब सुल्तान सिंह ने कहा की में पाट घाव नहीं करता हूँ तब महारावल ने कहा की कुछ मांग | सुरतान सिंह ने कहा की में आप से क्या मांगू मेने आपको जीवन दान देकर जैसलमेर का राज्य दिया है | तब महारावल ने कहा की तुम्हारी इच्छा अनुसार तुम कहीं भी बस जाओ तब तेजमाल जी के पुत्रों ने पिता के नाम से तेजमालता गाँव बसाया | उदयसिंह भी कुछ समय तक तेजमालता में रहे बाद में तेजमालता से बारह किलोमीटर दूर जो पहले जंझ भाटियों का गाँव था उसकी जागीरी कायम की | तेजमाल जी के कारन उनड़ भाटी हाबूर वाले सिंध में जाकर बस गए थे | उन्हें वापिस हाबुर में लाकर ताम्बा पत्र जागीरी करवाई | और उन्हें बसाया | कुछ घर पाकिस्तान के धूड़ीया गाँव में थे | वे भारत पाक युद्ध 1971 के दोरान आकर जैसलमेर के फतेहगढ़ तहसील के ल्ख्मना गाँव में बस गए |

लगातार ...................
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