185 महारावल लूणकरण भाटी 45 1528 ई .

                                          :: 185 महारावल लूणकरण भाटी 45   1528 ई . ::

महारावल लूणकरण जी जैसलमेर के राज सिंहासन पर विक्रमी संवत 1585 को विराजमान हुए इनके विवाह १ गढ़ ईडर के राव जेतमाल की पुत्री हंसकंवर २ सोढा कुम्भकरण की पुत्री जामकँवर सती हुयी ३ बीकानेर के राठोर राव लूणकरण की पुत्री अमृतकँवर ४ झालाराज चंद्रसेन की पुत्र सुरज्कंवर ५ चितोड़ के सिसोदिया राणा सांगा की पुत्री सरस कँवर से हुए | इनके पुत्र १ मालदेव २ हिंगोलदास ३ रायपाल ४ सूरजमल ५ रायमल ६ दुर्जनसाल ७ सिवदास ८ दूदा 9 हरदास १० हीरजी थे | पुत्रियाँ रामकँवर व उमादेव राव मालदेव गढ़ जोधपुर को परणाइ | राजकंवर राणा उदयसिंह उदयपुर परणाइ महारावल लूणकरण ने सर्व प्रथम अपने पिता द्वारा आरंभ किये जेत बांध को पूरण करवाया | यह बांध जैसलमेर से रामगढ़ सड़क पर पांच किलोमीटर पर हे | वर्तमान में इसे बड़ाबाग के नाम से जाना जाता हे | यह बांध इतना ऊँचा है और ऐसे अनघड़ पत्थरों से बनाया गया है| की इसको देखकर अत्यंत आश्चर्य होता है | इस बांध के प्रष्ठ भाग में ऐक बाग़ आपने लगाया था जिसका नाम बड़ा बाग़ हे | इसमें आम के वृक्ष हे | उन वृक्षों में से ऐक राव मालदेव अपने साथ जोधपुर ले जाकर मंडोर के बाग़ में लगाया था | तब से लगाकर मंडोर का बाग अभी तक मोजूद हे | बड़े बाग में ऐक आम का पेड़ सबसे पुराना है | उसके फल मीठे होते हे इसलिए वे आम मिश्री आम से जाने जाते हे बाग़ के अन्दर ऐक केतकी का वृक्ष आज तक मोजूद हे | यह बांध दो तरफी पहाड़ियों के बीच बंधा हुआ हे और पीछे भी बहुत लम्बी पहाड़ियों की गाल है | जिसमे माली लोग सब्जिया करते हे | यह भूमि उपजाऊ है | इसमें बहुत से कुए हे

 :: कँवर पदा::

महारावल श्री जवाहर सिंह ने इसी गाल में छोटे राजकुमार हुकुमसिंह के लिए बाग लगवाया था व महल बनवाये थे जिसे कवर पदा कहते है |
:: मंडप ::

बड़े बाग़ के ऊपर की पहाड़ियों पर राजा महाराजाओं की शमशान भूमि पर उनकी स्मरति के लिए बनाये हुए देवल व् छतरियों का समूह हे उसे मंडप कहते हे | इस मंडप के देवल व् छतरियों पर स्थापत्य कला का बड़ा सुन्दर नमूना है | इनको देखने विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता हे | इन देवलों में मनोहर दास जी महारावल का देवल सबसे सुन्दर व् दर्शनीय हे |


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