अमर शहीद मरणोपरांत सूरमा पूनमसिंह भाटी पूनम नगर ( हाबुर )

 ::अमर शहीद सूरमा पूनमसिंह भाटी::

भारत के इतिहास में और वीर योद्धा भूमि राजस्थान की बलीदानी परम्परा में जैसलमेर में जन्मे पुनमसिंह भाटी का नाम अमर रहेगा । पांचवी कक्षा तक अध्ययन करने के पश्चात्१ ७ वर्षीय पूनमसिंह सन ९५ ६ में राजस्थान में चलाये गए ऐतिहासिक भूस्वामी आंदोलन का सत्याग्रही सत्यागढ़ी बनकर जेल चले गए । तीन माह की जेल भुगतने के पश्चात् पूनमसिंह नोकरी की तलाश में लग गए । १५ अक्टूम्बर १९६१ में वह अपने ग्राम साथी सुल्तान सिंह भाटी के साथ पुलिस सेवा में भर्ती हो गए । भर्ती के समय ठा.  मोतीसिंह हाड़ा ने इस यूवक के बारे में कहा था । यह क्षत्रिय जाती व् राष्ट्र का नाम उज्जवल करेगा । पुलिस अधीक्षक के इन शब्दों को पूनमसिंह भाटी ने ९ सितम्बर १९६५ के भारत -पाक युद्ध में शोर्य दिखाकर सार्थक कर दिया । युद्ध काल में भाटी जैसलमेर पाक सीमा चोकी भुटों वाला पर तैनात था । जहाँ उसने एक सो पचास पाक रेंजरों से सामना करता हुआ ७ दुशमनो को उनके कमांडर सहित मोत के घाट उतार कर भारत माँ की गोद में अपना बलिदान देकर जैसलमेर के भाटियों के विड़द भड़ किवाड़ भाटी यादव कुल छ्त्राला उतर धरा कीवाड़ को अमर कर दिया । भाटी पूनमसिंह का जन्म ग्राम  हाबूर के ठा . जयसिंह के घर १६ जून १९४० को माता श्री मती धायकँवर सोलंकियाजी की कोख से हुआ । युद्ध समाप्ति के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ने पूनमसिंह भाटी को मरणोपरांत २६ जनवरी १९६६ को भारतीय पुलिस का अग्नि सेवा पदक प्रदान कर सम्मानित किया । उनकी याद में हाबुर का नाम पूनमनगर रखा । ५ अक्टूम्बर १९६५ को शहीद के जनम स्थान पूनम नगर में राजस्थान क्षत्रिय महासभा की अध्यक्षता महारानी साहिबा श्री मती शिवकुमारी , कोटा महारावल रुघनाथसिंह जैसलमेर सुमेरसिंह किशनगढ़ व् राजस्थान भूस्वामी संघ के नेता अयुवानसिंह के साथ पधारकर पूनमसिंह को भावभीनी श्रधांजलि अर्पित की ।


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