:: जैसलमेर सोनार दुर्ग का निर्माण ::
:: दोहा ::
संवत बारह सो बारह सावन मास सुमेर ।
जैसल थाप्यो जोरावर महिपत जैसलमेर ।
लंका ज्यों अगजीत है घणा घाट रे घेर ।
रघु रहसी भाटियों महिपत जैसलमेर ।
:: महारावल जैसल के गढ़ों की विगत ::
:: छपय ::
बारह सो बारोतरो कियो जैसल जैसलगिरी ।
ईसा वरस सोवनमेर मंड्यो मेरावर ।
सुद सावण ११ रोहिणी नक्षत्र रविवारे ।
प्रथ्वी में प्रगट्यो त्रिकुट गढ़ लंका कारे ।
तहां छेद लगे नको , सुख निवास भाटी रहे ।
पहवीय गढ़ सिणगार ऐ , देखेय दुर्जन उदहे
:: दोहा ::
बारह सो चोबीस में सावण सुद पूनम ।
एता दिन सुख भोगवे सरग पोहतो जादम ॥ (१ )
जैसलमेर कराय गढ़ बारह वर्ष कियो राज ।
जैसल सरग पधारियो देय दन्त द्रव वाज ॥ ( २ )
:: खंडन :भाटियों के रावो की बही के अनुसार जैसलमेर की स्थापना संवत 1212 श्रावण मास रोहिणी नक्षत्र घन लग्न श्रावण सुदी ११ ने रविवार अंकित है परन्तु कई इतिहासकारों व् ख्यात्कारों ने जैसलमेर की स्थापना संवत १२१२ श्रावण सुदी १२ दर्शाया है ।
लगातार ................
जय श्री कृष्णा