:: महारावल महारावल देरावर गादी विराजे तब नीचे लिखे अनुसार दान दिया ::
:: दोहा ::
करोड़ इग्यारे एक अरब पैंसठ लाख पसाव ।
दीनी सिद्ध देरावर सिरी भाटी राव । ।
:; कवित ::
अरब एक रतनु अपेरी , भाटी राव क्रोड़ देस गाथा फेरी
भाटीराव करोड़ दो रावो दीधी री भाटी राव सात करोड़ एक साथेरी
जीको पण विप्रोही लिधोरी एक करोड़ देहु कवी कवित इम उचरे
एक दान भाटी बिना कुण भूप दूजा करे (२ )
:::दोहा :;
नव सै समे पच्यासीसे म्रगसर सुदी दसम
एता दिन सुख भोगवे सृग पोहते जादम (१ )
विजेराव पाट वसेखंता देरावर भूपाल
पचास वरस पंचआगलो कियो राज रखपाल (२ )
:: कवित ::
सिद्ध आप भेटियो प्रसिद्ध ते तव निध पाई
सेवी अदि सकत विरद धण तेग बधाई
नव सो समे नवोतरे पुख्य नक्षत्र पेखिजे
माह सुदी पंचमी वार पण सोम भनीजे
देवाइत प्रोहित ते लग्न दीय कोट नीव वचल करूँ
देरावर करायो देवगढ़ जुगा चार रहसी जरू
:: दोहा ::
बैठाते देरावर सिद्ध विजेराज के पाट
वहवर दावल रा दिया पै बंदीजन के थाट
दिरावर थापी दुरंग लुदरवो आप घर लावै
सम वाहण त्रिप संघ जूनो पारकर जमावे
आबू फेरी आण भई जालोर हूँ भेजे
मारे नृप मंडोर गढ़ अजमेर हूँ गजे
पूंगल गढ़ लीनो प्रगट कतल बिठ्दे कीजिये