:: ९५ भवानिजीत ::
महाराजा प्रतिपाल के पुत्र भवानिजीत गढ़ लाहोर के सिहासन पर विराजे | इनके १७ रानिया थी | इनका विवाह गढ़ सांभर के चौहान अजेदेव की पुत्री भानमती से हुआ | इनकी राजधानी मथुरा थी | इनकी पांच रानिया मथुरा में सती हुई | इनका परमं धाम लाहोर में हुआ |
:: ९६ भीमसेन ::
महाराजा भवानीजीत के पुत्र भीमसेन गढ़ लाहौर के सिंहासन पर बेठे | इनके १५ रानिया थी | इनका विवाह सिंध देश के पडिहार राजा उढ़रा की पुत्री से हुआ | इनके पुत्र १ चंद्रसेन २ खंगार सेन ३ सूरजमल थे | राजा भीमसेन का मुसलमानों से युद्ध हुआ | इस युद्ध में भीमसेन सतलज नदी पर काम आये | और वनपुर गढ़ गजनी पर मुसलमानों का अधिपत्य हो गया तीन गढ़ लाहोर मथुरा और अवध पर चंद्रसेन का अधिपत्य रहा गढ़ वनपुर में ९ रानिया सती हुई |
:: ९७ महाराजा चंद्रसेन :
:; ९८ महाराजा जगासवाईत :;
महाराजा चंद्रसेन के पुत्र जगसवाईत लाहौर के सिंहासन पर बेठे इनका विवाह बुंदेलखंड के बड्बुजर राजा निकुम्प की पुत्री भानकँवर के साथ हुआ इनके पुत्र १ वेणजस २ रामसेन ३ काकलदेव ४ अरजन ५ इन्द्रजीत थे.