आगे का विवरण पडिहार का कोड़ लुप्त होना

:: ७० सूरसेन :: 

 सवाई सेन के पुत्र सूरसेन राजगादी विराजे इनका विवाह गढ़ पर्याग के गेहारवर  राजा भोज की पुत्री से हुआ इनके पुत्र उदिप्सेन  २ मंड राव ३ नेन राव ४ पुंज सेन थे सूर सेन ने लाहोर से पुष्कर तक राज्य स्थापित किया सूरसेन मंडोर के राजा  नाड़राव पडिहार के भांजे थे पडिहार नाड़राव को धोम ऋषि के श्राप से कोड निकल गई थी एक दिन सूरसेन और नाड़राव शिकार  खेलने गए उन्हें जंगल में सूअर के पद चिन्ह मिले वे दोनों पद चिन्हों को खोजते खोजते एक  छोटे  तालाब पर पहुंचे जहा उस तालाब के कीचड में सूअर लेटा था उसके बाद में सूअर तो पास में एक खोह जो पाताल तक चली गई उसमे चला गया सूरसेन और नाड़राव को प्यास लगी थी उन्होंने उस तालाब के पानी से प्यास बुझाई ज्योही उन्होंने पानी पिया नाड़राव पडिहार की कोड लुप्त हो गई उसी दिन से पडिहार वह यादव सूअर मांस का भक्सन नही करते है

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