कृष्णा जी का अवतार मथुरा में और बिधवंशी यादव और भोजवंशी यादव

:: बिधवंसी  यादव ::

बिधुजी  की संतान  बिध्वंसी  यादव  कहलाये

::भोजवंसी यादव ::

भोजाजी   की संतान  भोजवंसी  यादव  कहलाये । . 37 भोजमन  के  पुत्र  38 दसरथ  39 सूरजदेव  40 साम 41 अत्रखेत  42 सवाइभोज  43 दरख  44 देवमंड 45 सूरसेण  46 वसुदेव नामक  राजा  हुए
मथुरा  में  श्री  कृष्णा  भगवान का  अवतार
इसी  परम  पवित्र यदुवंश  द्वापर  युग  के  अन्त और  कलियुग  के  प्रारंभ  में  जब  प्रथ्वी  पर  कुमार्ग राजाओ का  भार बढ़  गया  तो  प्रथ्वी  की पुकार  सुनकर  47 श्री  कृष्णा  चन्द्र  आनंदकंद  ने  वसुदेव  के  गृह  में  श्री देवकी  के  गर्भ  से  अवतार  धारण  किया ।  दुष्ट राजाओ  का नाश  कर  अपने  पुनः  धरम  की  स्थापना की ।
जन्मे  श्री कृष्णा  मुरारी  भगतहित  करने  मथुरा  लियो  अवतार ।                                                                गोकुल  झूले  पाल्णे  भादवा  वदी अष्ठमी  इंद्र  बरसत जलधार ॥

श्री कृष्णा  भगवान  ने  बाल्यकाल में    बावन  परचा  देते  हुए  अनेक  अनेक  लीला कीनी ।  गोपियों  के  संग  रासमंडल  किया ।  दही  दुग्ध  का  दान  वसूल   किया  कंस  ने  पूनता राक्ष्शी  को कृष्णा  को  मरने  हेतु दुग्धपान  करने  हेतु  भेजा पूनता  के  प्राण  दुग्ध  पान करते  ही  उड़  गए ।  धनकासुर और  विकटा  सुर राक्षसों  का  वध  किया  भोमासुर राक्षस  ने  20 हजार  कन्या इकठ्ठी   करके विवाह  करने  का  प्रण ले  रखा  था ।  उन  २०  हजार  कन्याओ  को  एक  भँवरे  में  बंद  करके  रखा  था ।  कृष्णा  ने  उसका  वध  करके  16 हजार  कन्याओ  का  हाथ  पकड़ कर  भँवरे  से  बहार  निकाल कर  कहा  अपने  अपने  घर जाओ  तब  सोलह  हजार  कन्या  मिल  कर  बोली  महाराजा  कुंवारी  का  एसा धरम  होवे  की  हाथ  पकडे  सोही  पति  होवे तब कृष्णा  जी  ने  16 हजार  कन्याओ  से  विवाह  किया  । श्री  कृष्णा  जी  के  108 पटरानिया   थी  । सत , सरया , बल, भद्र , ब्र्जकंवर , हर ,लाछ, इत्यादि  रानिया थी ।  एवं नवमी  रानी  राधिका  थी । ब्रजभान  जी की  पुत्री बरसाने  की   सर्वश्रेस्ठ  रानी  थी ।  कृष्णा  ने  कुनद्पुर के  राजा  भीष्मक  की  कन्या  रुकमनी  से  विवाह  किया।   इसी  महोत्सव  के  उपलक्ष  में  इंद्र  महाराजा ने  इनको मेघाडम्बर  नामक छत्र   भेंट किया ।  तब  से  यह  छत्र  इनके  वंशजो  के  अधिकार  में  आज  भी  जैसलमेर  के  दुर्ग  पर  सुरक्षित  है ।  इसी  कारण  कृष्णा  के  वंशज छ्त्राला  यादव  के  नाम  से  प्रख्यात  है ।  श्री कृष्णा  की संतान एक लाख इकसठ हजार अस्सी पुत्र पुत्रिया थी । श्री कृष्णा के पाटवी प्रधुमन  48 थे  उनकी  रानी  रुन्ति  की कोख  से  अनिरूद्ध 49 पैदा  हुए  अनिरूद्ध  का  विवाह  राजा  बल  की  पोती  राजा  बाणासुर  की  बेटी  उखा जी  से  हुआ ।



लगातार .............. 
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