:: जंध ::
:; दोहा ::
आलोजी जी भाणसी कुंवर जैसाण धरा के राण ।
जन्मया जैसाण कारणे सलखा गाँव में आण ।।
सदर संदेशो आवियो रावल रायके के साथ ।
आलोजी गढ़ ने घेरियो आवो धरा के नाथ ।।
आलोजी जंग जुझिया सतगुरु वचन विरड ।
नयन सीने आविया जुझ्यो जंग में धड़ ।।
धन्य - धन्य वह भूमि है जहा जन्मे जुझार ।