:: पश्चिम के बादशाह की पदवी महाराजा गज ::
महाराजा गज का मथुरा से लाहौर मुल्तान और काबुल कंधार तक एकाधिपत्य हो जाने से पश्चिम के बादशाह कहलाने लगे । :: महाराजा गज का कश्मीर से युद्ध ::
महाराजा गज विज्योनमत हो कर कश्मीर के तत्कालीन महाराजा कंद्रप केलि को अपने अधिकार में करने के लिए कश्मीर पर आक्रमण किया । कश्मीर अधिपति ने हर मानकर अपनी कन्या चौहान का विवाह महाराजा गज के साथ कर दिया। महाराजा गजबाहू ने भीमसेन भाट को करोड़ पसाव दान दिया। इस प्रकार महाराजा गजबाहू अपनी शासन शक्ति को आर्यव्रत के पश्चिमोतर प्रदेश में विस्तार करके अति वृधा अवस्था में स्वर्गलोक सिधारे। गज से महाराजा तृतीय गजसेन तक ७४ राजाओ का गजनी पर शासन युधिष्ठर संवत ३०८ से विक्रमी के प्रारंभ तक ७४ राजाओ ने गजनी पर १५०० वर्ष तक राज्य किया। ये सब यवनों से आक्रांत होकर पश्च्मि की और हटते ही गए। :: ६० रज सेन ::
महाराजा गजबाहू के पुत्र रज सेन गढ़ मथुरा के सिंहासन पर बेठे उनके १३ रानिय थी । गोड जी राजा पालसेन की बेटी चन्द्रसेन की रानी कठीर राजा ज्वाला दत जी की बेटी १ कुंवर पाटवी प्रतिबाहु २ करनबाहू ३ कुम्भसेन ४ हंसकुमार ।जय श्री कृष्ण
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राजपूती पराकर्म